संयुक्त राष्ट्र, 10 अप्रैल (भाषा) दुनियाभर में कोरोना वायरस से उत्पन्न संकट पर चर्चा के लिए बुलाई गई अपनी पहली बैठक में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने कोविड-19 से प्रभावित लोगों के साथ एकजुटता दिखाने और एकता बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया है। इसके साथ ही परिषद ने इस महामारी से निपटने के लिए महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रयासों के प्रति भी समर्थन व्यक्त किया है।
सुरक्षा परिषद ने कोविड-19 के प्रभाव को लेकर वीडियो-कांफ्रेंस के जरिए एक सत्र आयोजित किया था। संयुक्त राष्ट्र के इस प्रमुख अंग की अध्यक्षता अभी डोमिनिकन गणराज्य के पास है। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख गुतारेस ने भी सत्र को संबोधित किया। बैठक के बाद जारी प्रेस विज्ञ्प्तियों के अनुसार, 15 देशों की सदस्यता वाले परिषद ने कहा सदस्य देशों ने संघर्ष-प्रभावित देशों पर कोविड-19 महामारी के संभावित प्रभाव के विषय पर महासचिव के सभी प्रयासों के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया और इससे प्रभावित सभी लोगों के साथ एकजुटता जताने और एकता बनाए रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
परिषद को संबोधित करते हुए, गुतारेस ने कहा कि 75 साल पहले संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद से दुनिया अपने सबसे मुश्किल दौर में है और इस बात का डर है कि विशेष रूप से विकासशील देशों और पहले से ही संघर्ष से जूझ् रहे देशों में अभी इस महामारी का सबसे बुरा प्रभाव सामने आना बाकी है। गुतारेस ने जोर देकर कहा कि कोविड-19 महामारी से उत्पन्न शांति और सुरक्षा के खतरे को कम करने के लिए सुरक्षा परिषद की भागीदारी महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने कहा, इस मुश्किल समय में परिषद का एकजुट होकर इससे निपटने के लिए संकल्प लेना वास्तव में बहुत महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा, आज महामारी के खिलाफ हमें एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है। इससे एकजुटता बढ़ेगी। सूत्रों ने पीटीआई-भाषा को बताया कि बैठक के दौरान कोविड-19 से उत्पन्न स्थिति को लेकर प्रस्ताव पर कोई चर्चा नहीं हुई। अभी तक कोरोना वायरस संकट को लेकर परिषद में चर्चा नहीं हो सकी थी क्योंकि अमेरिका और चीन के बीच इसे लेकर गतिरोध बना हुआ था। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत केली क्राफ्ट ने कहा कि अमेरिका सार्वजनिक स्वास्थ्य डेटा और सूचना को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के भीतर पूरी पारदर्शिता और समय पर साझ करने की आवश्यकता को दोहराता है। दुनिया भर में कोरोना वायरस महामारी की चपेट में अब तक 16 लाख से अधिक लोग आ चुके हैं और 95,000 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।