मप्र विधानसभा चुनावों में महिलाओं के मुद्दों पर जोर, उपेक्षित महसूस कर रहा ट्रांसजेंडर समुदाय

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इंदौर, मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में इस बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस का महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर खास जोर है और दोनों धुर प्रतिद्वंद्वी सियासी दलों के दांव-पेंच बताते हैं कि वे आधी आबादी का समर्थन हासिल करने का कोई भी मौका छोड़ना नहीं चाहते। इस बीच, तीसरे लिंग के लोगों की शिकायत है कि उनके लिए मायने रखने वाले मुद्दे चुनावी परिदृश्य से पूरी तरह गायब हैं।

इस समुदाय से जुड़ी संध्या घावरी इंदौर नगर निगम की स्वच्छता राजदूत हैं और संविधान के विषय से जुड़ी एक फैलोशिप पर भी काम कर रही हैं। ट्रांसजेंडर के हितों में काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि उन्होंने बहुत पहले तय कर लिया था कि वह अपने समुदाय के अन्य लोगों की तरह नेग मांगने का पारम्परिक काम नहीं करेंगी।

घावरी ने बृहस्पतिवार को “पीटीआई-भाषा” से कहा, “सरकार ने पुरुष और महिला के अलावा तीसरे लिंग की श्रेणी तो बना दी है, लेकिन विधानसभा चुनावों में हमारे समुदाय के मुद्दों पर कोई भी दल या उम्मीदवार बात नहीं कर रहा है। इनमें शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और समाज में सम्मानजनक तरीके से रहने के मुद्दे सबसे अहम हैं।’’

उन्होंने दावा किया कि पड़ोसी छत्तीसगढ़ और देश के अन्य सूबों के मुकाबले मध्यप्रदेश में तीसरे लिंग के लोगों के लिए राज्य सरकार ने कुछ भी नहीं किया है। घावरी ने शिकायत भरे तीखे लहजे में कहा, ‘‘ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को केवल दिखावे के लिए सरकारी कार्यक्रमों में बुलाया जाता है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में तीसरे लिंग के लोगों की असल आबादी के मुकाबले बेहद कम लोगों के पास मतदाता परिचय पत्र हैं।

सरकारी आंकड़े इसकी तसदीक करते हैं। सूबे के मौजूदा विधानसभा चुनावों में 2.88 करोड़ पुरुष मतदाता और 2.72 करोड़ महिला मतदाता हैं, जबकि तीसरे लिंग के मतदाताओं की तादाद महज 1,373 है जिनमें इंदौर के 111 लोग शामिल हैं।

प्रदेश के सामाजिक न्याय विभाग की संयुक्त संचालक सुचिता तिर्की बेक ने कहा कि तीसरे लिंग के लोगों को लगातार प्रेरित किया जा रहा है कि वे न केवल मतदाता परिचय पत्र बनवाएं, बल्कि वोट भी डालें। उन्होंने कहा, ‘‘अक्सर देखा गया है कि अपने परिवार से अलग रह रहे ट्रांसजेंडर के पास आधार कार्ड सरीखे पहचान के दस्तावेज तक नहीं होते। इससे उनके मतदाता परिचय पत्र बनवाने में भी समस्याएं आती हैं। हालांकि, हम ये दस्तावेज बनवाने में उनकी हरसंभव मदद करते हैं।”

(भाषा)

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