नई दिल्ली, 19 जुलाई
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) का एक जांच दल सोनभद्र में हुए खूनी संघर्ष की जांच के लिए सोमवार को वहां जाएगा।
एनसीएसडी के अध्यक्ष नंद कुमार साय की अगुवाई वाला यह दल इस संघर्ष में मारे गए लोगों के परिवारों और प्रशासनिक अधिकारियों से मिलेगा। सोनभद्र जिले के घोरवाल इलाके में जमीन विवाद को लेकर बुधवार को हुए संघर्ष में 10 लोग मारे गए थे और 18 अन्य घायल हुए थे।
ए लोग ग्राम प्रमुख यज्ञ दत्त और उनके समर्थकों का विरोध कर रहे थे जो 90 बीघा विवादास्पद जमीन पर कब्जा करने आए थे। ग्राम प्रमुख के साथ आए लोगों ने कथित रूप से गोलियां चलाईं जिससे नौ लोगों की मौके पर ही जान चली गई।
साय ने कहा, हम यह पता करने का प्रयास करेंगे कि विवाद किस बात को लेकर है। हमे पता चला है कि ए आदिवासी दशकों से उस जमीन पर रह रहे हैं….तब प्रशासन ने अबतक उन्हें मालिकाना हक क्यों नहीं दिया।
उन्होंने कहा कि आदिवासियों ने पीढय़िों से उस जमीन पर खेती की है और वे उसका स्वामित्व मांगते आ रहे हैं। उन्हें वहां से खाली कराने के पहले भी प्रयास हुए हैं।
उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओ. पी. सिंह ने पहले पीटीआई भाषा से कहा था कि यह जमीन एक आईएएस अधिकारी की थी जिसने इसे यज्ञदत्त को बेच दी और दत्त उस पर कब्जा करना चाहते हैं। उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग ने बृहस्पतिवार को स्थानीय अधिकारियों पर जमीन विवाद हल करने में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया। इसी विवाद के चलते लापरवाही हुई।
एनसीएसटी अध्यक्ष ने भी राज्यों द्वारा आदिवासियों के कल्याण के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने को लेकर चिंता प्रकट की। उन्होंने दावा किया, आम तौर पर आदिवासी जिस जमीन पर दशकों से रह रहे हैं, उनका मालिकाना हक पाने के लिए उन्हें ढेरों समस्याएं होती है। निचली स्तर पर नौकरशाही रूकावट उनके लिए अपनी पहचान स्थापित करने के लिए प्रमाणपत्र हासिल करना भी मुश्किल हो जाता है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था सुधारने के लिए गंभीर कदम उठाने की जरूरत है।