सोशल डिस्टेंसिग का मतलब भौतिक दूरी है, मन की दूरी नहीं : मोदी

फाइल फोटो
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नई दिल्ली, 29 मार्च प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस को परास्त करने में एक दूसरे से पर्याप्त दूरी बनार्ने सोशल डिस्टेंसिंगी को कारगर बताते हुए देशवासियों से लॉकडाउन के दौरान संक्रमण के संदिग्ध मरीजों के प्रति वैरभाव प्रकट करने से बचने की अपील की।  मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में कहा कि से कुछ मामले संज्ञन में आए हैं जिनमें कुछ लोग संदिग्ध मरीजों के प्रति बुरा बर्ताव कर रहे हैं, यह दुखद है। उन्होंने अपील की कि सोशल डिस्टेंसिंग का मतलब भौतिक दूरी को बढ़ाना और भावनात्मक दूरी को घटाना है।  

उन्होंने कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग का अर्थ एक दूसरे से मन की दूरी बनाना नहीं बल्कि भौतिक दूरी को बरकरार रखते हुए संक्रमण को दूसरों में फैलने से रोकना और संक्रमण से खुद को बचाना भी है। उन्होंने कहा कि इसका अर्थ किसी संक्रमित व्यक्ति या संक्रमण के संदिग्ध व्यक्ति को दुत्कारना नहीं है।  मोदी ने लॉकडाउन के दौरान समय का सदुपयोग करने वाले लोगों के अनुभवों को भी साझ किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर देश के विभिन्न इलाकों के लोगों द्वारा बताए जा रहे उनके अनुभवों का जिक्र करते हुए कहा कि कोटा के यशवर्धन ने नरेंद्र मोदी एप पर लिखा है कि वे लॉकडाउन में पारिवारिक संबंधों को मजबूत बना रहे हैं।  

मोदी ने कहा कि एक तरफ लॉकडाउन में लोग अपने घरों तक सीमित हैं, वहीं लॉकडाउन ने से तमाम कामों को करने का अवसर भी दिया है जो कामकाज की व्यस्तताओं के कारण लोग नहीं कर पाते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस अवधि में आप संगीत, बागवानी और अन्य शौक पूरे कर सकते हैं, साथ ही बचपन के मित्रों से भी बात कर इस समय का सदुपयोग कर सकते हैं।   उन्होंने लॉकडाउन के दौरान रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में लगे दवा, दूध, सब्जी और किराना विक्रेताओं के सहयोग की भी सराहना करते हुए कहा कि ए लोग संकट के इस दौर में जोखिम लेकर भी सभी देशवासियों को जरूरत की वस्तुएं मुहैया करा रहे हैं। 

 मोदी ने इस दौरान संचार एवं बैंकिंग सेवाएं भी बहाल रखने के लिए संचार और बैंकिंग सेवाकर्मियों के सहयोग के लिए आभार प्रकट किया।  इससे पहले मोदी ने आगरा के 73 वर्षीय अशोक कपूर से भी फोन पर बात की जिनका पूरा परिवार कोरोना के संक्रमण की चपेट में आ गया था।   अशोक ने प्रधानमंत्री को बताया कि कारोबार के सिलसिले में उनके दो बेटे और दिल्ली निवासी दामाद इटली गए थे। उन्होंने बताया कि वापस लौटने पर दामाद को दिल्ली में बुखार की शिकायत होने पर कोरोना का परीक्षण कराने पर संक्रमण की पुष्टि हुई। इसके बाद आगरा में उनके दोनों बेटे, पोते, बहू सहित सभी छह परिजनों का भी टेस्ट कराने पर संक्रमण की पुष्टि होने के बाद इलाज के लिए दिल्ली लाया गया जहां उनके पूरे परिवार का सफल इलाज हुआ। 

उल्लेखनीय है कि फरवरी में कोरोना की चपेट में आने वाला यह पहला परिवार था, जिसके सभी सदस्य संक्रमित पाए गए थे। मोदी ने इस बीमारी के संक्रमण को परास्त करने में अशोक सहित समूचे परिवार की सराहना करते हुए देशवासियों से कोरोना वायरस के प्रति भयभीत होने के बजाय चिकित्सा निर्देशों का पालन करने की अपील की।  मोदी ने कहा, समय पर डाक्टरों से संपर्क कर और उनके निर्देशों का पालन करके हम इस बीमारी को परास्त कर सकते हैं। इस दौरान उन्होंने कोरोना के संक्रमण के खिलाफ जारी जंग में सक्रिय सहयोग कर रहे दिल्ली के डा. नीतीश गुप्ता से भी फोन पर बात की। डा. गुप्ता ने प्रधानमंत्री से कहा कि हम सैनिकों की तर्ज पर पूरी तरह से मुस्तैद हैं। हमारा एक ही ध्एय है कि प्रत्एक मरीज ठीक होकर घर जाए।  

डा. गुप्ता ने इस काम में पेश आ रही चुनौतियों के बारे में मोदी को बताया कि घबराए हुए मरीजों को शुरु में बहुत समझना होता है कि वे ठीक हो जाएंगे। उन्होंने कहा, हम मरीजों की कांउसलिंग करके समझते हैं कि वे कैसे जल्द ठीक होंगे। मरीजों से हम बार बार बात करते हैं और जब मरीज ठीक होने लगते तो फिर उनमें आत्मविश्वास आता है। डा. गुप्ता ने बताया कि वह अब तक 16 मरीजों को ठीक करके अस्पताल से घर भेज चुके हैं।  मोदी ने कहा कि नीतीश जी जैसों के प्रयासों से भारत इस लड़ाई में अवश्य जीतेगा।  प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया का अनुभव बताता है कि इस बीमारी से बीमार होने वालों की संख्या अचानक बढ़ती है। भारत में यह स्थिति न आए इसके लिए सरकार पूरा प्रयास कर रही है।   गौरतलब है कि भारत में रविवार को कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 979 तक पहुंच चुकी है जबकि 25 लोगों की इसके चलते जान जा चुकी है।  (भाषा)

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