हर कार्यकर्ता की भावना है कि राहुल गांधी पार्टी का नेतृत्व करें : कांग्रेस

फाइल फोटो
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नई दिल्ली, 20 अगस्त (भाषा) कांग्रेस ने, प्रियंका गांधी वाद्रा की ओर से पार्टी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी नेहरू-गांधी परिवार के बाहर के किसी व्यक्ति को सौंपने की पैरवी किए जाने के, दावे की पृष्ठभूमि में बुधवार को कहा कि यह टिप्पणी एक साल पुरानी है और पार्टी के हर कार्यकर्ता की यह भावना है कि राहुल गांधी ही एक बार फिर से कांग्रेस की कमान संभालें।

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह आरोप भी लगाया कि प्रियंका गांधी की एक साल पुरानी टिप्पणी को भाजपा के इशारे पर तूल दिया जा रहा है।

दरअसल, हाल ही में आई एक पुस्तक ‘इंडिया टुमॉरो’ में दावा किया गया है कि प्रियंका गांधी ने राहुल गांधी की उस बात का समर्थन किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि गांधी परिवार के बाहर के व्यक्ति को कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया जाना चाहिए।

सुरजेवाला ने इस पर ट्वीट किया, नेहरू-गांधी परिवार ने सत्ता के मोह से दूर, सदा सेवाभाव से कांग्रेस को एक सूत्र में बांधे रखा है। 2004 में सोनिया गांधी ने सत्ता के बजाय पार्टी की सेवा चुनी। 2019 में राहुल गांधी ने भी दृढ़ विश्वास की हिम्मत दिखाई और कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया।

उन्होंने दावा किया, हम प्रियंका गांधी की एक वर्ष पुरानी टिप्पणी जुलाई, 2019 में अचानक उपजी मीडिया के एक धड़े की रूर्चि सत्तारूढ़ भाजपा के इशारे परी के खेल को समझ्ते हैं। आज समय … मोदी-शाह द्वारा भारतीय लोकतंत्र पर किए जा रहे बर्बरतापूर्ण हमले का सामना करने और निडरता से इससे लोहा लेने का है।

सुरजेवाला ने कहा, लाखों कांग्रेस कार्यकर्ता राहुल गांधी के उस अथक संघर्ष व संकल्प के गवाह हैं, जिससे उन्होंने इस लड़ाई का नेतृत्व किया है। न तो उन्होंने विपरीत परिस्थितियों की परवाह की और न ही मोदी सरकार के वीभत्स हमलों की। यही वह निडरता और अदम्य साहस है जिसकी कांग्रेस को ही नहीं, बल्कि देश को सबसे ज़्यादा जरूरत है।

पुस्तक में किए गए दावे के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ने संवाददाताओं से कहा, नेहरू-गांधी परिवार का बड़प्पन है कि उसने हमेशा निजी हितों से पर पार्टी और देश के हित को रखा है। उन्होंने कई मौकों पर बड़े त्याग किए।

उन्होंने कहा, आज देश के युवा और कार्यकर्ता चाहते हैं कि राहुल गांधी ही कांग्रेस का नेतृत्व करें। लेकिन इस बारे में निर्णय लेने का अधिकार कांग्रेस कार्यसमिति और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को है।

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