कटनी, दैनिक मध्यप्रदेश।
गर्भवती महिला का टीकाकरण तक नहीं , तेवरी की घटना से जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की खुली पोल
सुरक्षित प्रसव, मातृ-शिशु मृत्यु दर रोकने के लिये प्रदेश सरकार द्वारा जननी सुरक्षा योजना, पोषण आहार वितरण के साथ 108 संजीवनी वाहन जैसी व्यवस्था किये जाने के बाद भी जिले में प्रसव के दौरान महिलाओं की मौत होने के मामले पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। कल स्लीमनाबाद क्षेत्र के ग्राम तेवरी में एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा होने पर 108 संजीवनी वाहन को कॉल किया लेकिन दो घंटे बाद भी वाहन न आने पर घर मेें ही प्रसव हो गया। कमजोरी के कारण महिला की हालत बिगडऩे पर उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र लाया गया। लेकिन वहां भी उसे उपचार नहीं मिला और ना ही कटनी भेजने की व्यवस्था की गयी। महिला को मरणासन्न हालत में रात्रि 2 बजे जिला अस्पताल लाया गया जहां चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया। वहीं बच्ची की हालत खराब होने के कारण उसे गहन चिकित्सा केन्द्र में भर्ती कराया गया।
सरकार द्वारा महिला के सुरक्षित प्रसव के लिये गर्भवती होने से लेकर प्रसव तक सहायता प्रदान करने के लिये अनेक योजनाएं चलायी जा रही है। इन योजनाओं में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा पंजीयन करने व पोषण आहार की व्यवस्था करने, गर्भवती का समय-समय पर चैकअप कराना भी शामिल है। इसके अलावा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की यह भी ड्ïयूटी होती है कि वह प्रसव काल निकट आने पर महिला को अस्पताल भेजने के लिये वाहन की व्यवस्था करें। लेकिन देखा गया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपनी जिम्मेदारी का पालन नहीं कर रही जिससे ना केवल तमाम सुविधाओं व दावों के बाद भी महिलाओं की प्रसव के दौरान मौत होने की घटनाओं पर अंकुश नहीं लगा पाया हैं।
दो वर्ष पूर्व हुआ था विवाह
तेवरी में उपचार सुविधा न मिलने से प्रसूता की मौत के इस मामले में मिली जानकारी के अनुसार सपना झारिया 23 वर्ष की वर्ष 2017 में तेवरी निवासी अनिल से विवाह हुआ था। मृतिका सपना की मां गीता बाई ने बताया कि उसकी बेटी का प्रसव समय नजदीक आने पर वह तेवरी आकर देखभाल करने आयी थी। कल सायं 6 बजे सपना को तेज प्रसव पीड़ा होने लगी उसके द्वारा 108 संजीवनी वाहन पर कई बार कॉल किया लेकिन रात्रि 8 बजे तक वह नहीं आया जिस पर उसके द्वारा प्रसव कराया गया। लेकिन प्रसव के बाद जब सपना की हालत बिगडऩे लगी तो वह प्रसूता व नवजात बच्ची को लेकर तेवरी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंची लेकिन वहां भी ना तो उपचार मिला ना ही कटनी रेफर करने के बाद वाहन उपलब्ध कराया गया।
किराये का वाहन नहीं कर पाये
मृतिका की मां ने बताया कि तेवरी स्वास्थ्य केन्द्र में मौजूद कर्मचारियों ने ना तो कटनी भेजने वाहन की व्यवस्था की और ना ही उपचार मिल पाया। चूंकि वे लोग गरीब है अत: किराये के वाहन भी ले सके। रात्रि 2 बजे व्यवस्था होने पर जब सपना को नवजात के साथ जिला अस्पताल लाया गया तो चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया। वहीं नवजात की हालत गंभीर होने पर उसे गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती कराया गया।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ना केवल महिला का पंजीयन करती है बल्कि समय-समय पर जांच कराने के अलावा टीकाकरण कराना व प्रसव काल के दौरान उसे पोषण आहार प्रदान करना भी उसकी जिम्मेदारी रहती है साथ ही प्रसव काल आने पर अस्पताल ले जाकर सुरक्षित प्रसव कराना भी दायित्व रहता है। लेकिन सपना के मामले में तो संबंधित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने कुछ नहीं किया। अगर गर्भवती को समय पर जांच, उपचार व पोषण आहार आदि सुविधाएं मिल जाती तो शायद उसकी जान नहीं जाती है।
8 वाहनों में 4 ही कार्यरत
जानकारी के मुताबिक जिला अस्पताल में 8 संजीवनी वाहन उपलब्ध जरूर हैै पर 4 ही सड़कों पर दौड़ती है। बताया जाता है कि 108 संजीवनी वाहन के लिये की जाने वाली कॉल पहले भोपाल मुख्यालय जाती है और वहां से संबंधित स्थल पर भेजी जाती है और इस चक्कर में देर तो लगती है साथ ही वाहन चालकों की मनमानी से भी जरूरत मंद को समय पर सहायता नहीं मिल पाती है।
पंजीयन हुआ ना टीकाकरण
मृतिका कीा मां गीता के अनुसार उसकी बेटी के गर्भवती होने के बाद ना तो उसका पंजीयन हुआ था ना ही टीकाकरण और ना ही सरकार द्वारा पोषण आहार के लिये दी जाने वाली राशि। महिला का यह बयान ग्रामीण अंचलों में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों की पोल खोल रही हैं क्योंकि किसी महिला के गर्भवती होने के साथ प्रसव तक पूरी जिम्मेदारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की रहती हैं।
समय पर वाहन आता तो बच जाती जान
मृतिका की मां का कहना है कि अगर सपना को अस्पताल लाने के लिये समय पर वाहन मिल जाता तो उसकी जान नहीं जाती। विदित हो कि 108 संजीवनी वाहन की व्यवस्था सिर्फ इसलिये की गयी है ताकि गर्भवती महिला को प्रसव के लिये अस्पताल लाया जा सके लेकिन अक्सर देखने में आया है कि समय पर वाहन से अस्पताल ले जाना पड़ता है।