सरदार सरोवर बांध के बैक वॉटर से मध्यप्रदेश के कई इलाकों के जलमग्न होने के बीच सैकड़ों विस्थापितों ने मंगलवार को धार जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग पर चक्काजाम किया। संगठन का आरोप है कि नर्मदा नदी पर गुजरात में बने बांध को विस्थापितों के उचित पुनर्वास के बगैर भरा जा रहा है जिससे मध्यप्रदेश के चार जिलों में डूब के हालात हैं।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि इंदौर से करीब 90 किलोमीटर दूर खलघाट के टोल नाके के पास नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेधा पाटकर की अगुवाई में सैकड़ों विस्थापितों ने राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक – 3 पर चक्काजाम किया। आगरा को मुंबई को जोडऩे वाले राजमार्ग पर चक्काजाम से दोनों ओर वाहनों की लम्बी कतारें लग गईं।
प्रदर्शन के दौरान पाटकर ने मांग की कि बैकवॉटर (बांध की बाहरी दीवार से टकराकर लौटने वाला पानी) से मध्यप्रदेश के बड़वानी, धार, खरगोन और अलीराजपुर जिलों में कई बसाहटों, खेतों, पेड़ों आदि के डूबने के मद्देनजर गुजरात में सरदार सरोवर बांध के सभी दरवाजे मानवीय आधार पर तुरंत खोले जाएं।
आंदोलन प्रमुख ने आरोप लगाया कि चारों जिलों में बांध विस्थापितों के 32,000 परिवारों में से ज्यादातर परिवारों का न्यायालय के आदेशों और नियम-कायदों के मुताबिक उचित पुनर्वास नहीं किया गया है।
पाटकर ने कहा, हम मध्यप्रदेश सरकार से भी मांग करते हैं कि वह डूब से राज्य के हजारों बांध विस्थापितों के दर्द की सुध लेते हुए मामले में उचित हस्तक्षेप करे और केंद्र के सामने अपना पक्ष मजबूती से रखे।
गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से हो रही भारी बारिश के बाद मध्यप्रदेश के चारों जिलों के कई इलाके सरदार सरोवर बांध की डूब में आ गए हैं। इनमें शामिल बड़वानी जिले का राजघाट गांव बांध के बैकवॉटर का स्तर बढऩे से टापू में तब्दील हो गया है और वहां लोगों को परिवहन के लिए नावों का सहारा लेना पड़ रहा है।
राजघाट के पास एक नाव के कल सोमवार को बिजली के तारों की जद में आने के कारण दो लोगों की करंट लगने से मौत हो गई, जबकि दो अन्य झुलसकर घायल हो गए। हादसे के वक्त ए लोग नाव से भोजन और आम जरूरत के अन्य सामान लेकर राजघाट गांव जा रहे थे।