दीपावली और अर्थव्यवस्था

दीपावली और अर्थव्यवस्था
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दीपावली 2025

भारत त्योहारों का देश है और इन्हीं में से सबसे बड़ा पर्व है दीपावली। यह केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। दीपावली को “भारत की सबसे बड़ी आर्थिक गतिविधि का मौसम” भी कहा जाता है, क्योंकि इस दौरान उपभोग, निवेश और व्यापार सभी अपने चरम पर पहुँचते हैं।

खरीदारी का त्योहार

दीपावली से पहले घर-घर में सफाई, सजावट और नवीनीकरण का काम होता है। लोग नए कपड़े, आभूषण, इलेक्ट्रॉनिक सामान, वाहन और फर्नीचर तक खरीदते हैं। यही कारण है कि इस समय बाजारों में सबसे ज़्यादा बिक्री होती है।

  • सोना-चाँदी : लक्ष्मी पूजा के अवसर पर आभूषण और सिक्कों की खरीद शुभ मानी जाती है।
  • ऑटोमोबाइल : वाहन कंपनियाँ दीपावली को लक्षित कर विशेष ऑफर निकालती हैं।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स : टीवी, मोबाइल और गैजेट्स की खरीद का सबसे बड़ा सीजन यही होता है।

छोटे व्यापारियों और कारीगरों के लिए अवसर

दीपावली केवल बड़े उद्योगों के लिए ही नहीं, बल्कि छोटे दुकानदारों, कुम्हारों और कारीगरों के लिए भी बड़ी उम्मीद लेकर आती है।

  • मिट्टी के दीये और मूर्तियाँ स्थानीय कुम्हारों की आमदनी का मुख्य साधन हैं।
  • मिठाई और नमकीन उद्योग इस समय सबसे अधिक सक्रिय रहते हैं।
  • हस्तशिल्प और सजावटी सामान की माँग गाँव-गाँव तक बढ़ जाती है।

शेयर बाज़ार और निवेश

दीपावली पर “मुहूर्त ट्रेडिंग” की परंपरा है। निवेशक इस शुभ अवसर पर लेन-देन को समृद्धि का प्रतीक मानते हैं। हर साल इस दिन बाज़ार में खासा उत्साह देखा जाता है। यह न केवल आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देता है बल्कि निवेशकों के आत्मविश्वास का भी प्रतीक है।

अर्थव्यवस्था पर समग्र प्रभाव

  1. उपभोग बढ़ता है – लोग बचत निकालकर खर्च करते हैं।
  2. उद्योगों को गति मिलती है – उत्पादन और बिक्री दोनों बढ़ जाते हैं।
  3. रोज़गार के अवसर – अस्थायी और स्थायी दोनों तरह की नौकरियाँ बढ़ती हैं।
  4. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल – गाँवों से शहरों तक सामान की माँग बढ़ती है।

2024–25 के उत्सव सीजन के आँकड़े

  1. दीवाली-उत्सव 2024 में कुल बिक्री ~ ₹1.25 लाख करोड़
    कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के अनुसार, 2024 के दिवाली सीजन में उपभोक्ता खर्च लगभग ₹1.25 लाख करोड़ दर्ज किया गया। यह पिछले वर्षों की तुलना में एक रिकॉर्ड स्तर की बिक्री थी।
  1. ऑनलाइन रिटेल में 14% की वृद्धि
    Criteo की रिपोर्ट के अनुसार, दिवाली 2024 के उत्सव सीजन में ऑनलाइन बिक्री में औसतन 14% की वृद्धि हुई। विशेष रूप से फैशन और इलेक्ट्रॉनिक्स श्रेणियाँ इस बढ़ोतरी में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली रहीं।
  1. ऑर्डर वॉल्यूम और GMV वृद्धि
    Unicommerce की रिपोर्ट बताती है कि पूरे उत्सव मौसम में ऑर्डर वॉल्यूम में 14% से अधिक की वृद्धि हुई और GMV (Gross Merchandise Value) में 18% तक की बढ़ोत्तरी हुई।
  1. शुरुआती फ़ेस्टिवल सेल की शुरुआत
    इस वर्ष देखने को मिला कि दिवाली की खरीदारी उत्सव से काफी पहले शुरू हो गई। उदाहरण के लिए, 26 सितंबर को ऑनलाइन बिक्री में 44% की उछाल दर्ज की गई, जो कि शुरुआत के दिनों की तुलना में बहुत अधिक है।
    इसी तरह, 2024 में ऑनलाइन ट्रैफिक (product page views) में अक्टूबर माह में 42% की वृद्धि देखी गई।
  1. श्रेणियों में असामान्य उछाल
    o होम एवं सजावट (Home & Garden): लाइट रोप्स +204%, कैंडल्स +122%, डिनरवेयर +89%
    o फैशन / पहनावे: कोट/जैकेट +154%, पाजामे +81%, साड़ी/लहंगा +78%
    o स्वास्थ्य व सौंदर्य (Health & Beauty): हेयर स्टाइल प्रोडक्ट्स +61%, नेल केयर +60%, बाथ और बॉडी किट्स +54%
  1. ग्रामीण एवं छोटे शहरों का योगदान बढ़ा
    उत्सव बिक्री में टियर II / टियर III शहरों का हिस्सा बढ़ गया। Unicommerce की रिपोर्ट कहती है कि इन क्षेत्रों ने ऑर्डर वॉल्यूम में लगभग 36.4% हिस्सा लिया, जबकि टियर II शहरों का हिस्सा 23.5% था।
  1. उपभोग की प्रवृत्ति एवं ग्राहक व्यवहार
    o लगभग 42% उपहार कस्टमर्स दिवाली से 1–4 हफ्ते पहले ही खरीदारी करते हैं।
    o ग्राहकों की खरीद निर्णय यात्रा (product discovery से ऑर्डर तक) औसतन 15 दिन की रही।
    o Google/Ipsos अध्ययन के अनुसार, 82% उपभोक्ता दिवाली की खरीदारी पहले से ही योजना बनाते हैं।
  1. आर्थिक दबाव एवं खर्च सीमितता
    हालांकि उत्सव सीजन की शुरुआत मजबूत रही, लेकिन महंगाई, विशेषकर खाद्य मूल्यों के बढ़ने से खर्च पर दबाव भी पड़ा। Reuters की रिपोर्ट कहती है कि उपभोक्ता महंगी चीजों की खरीदारी को स्थगित कर रहे हैं क्योंकि ज़रूरी चीज़ों की कीमतें अधिक हो गई हैं।

दीपावली केवल दीयों और पूजा का पर्व नहीं, बल्कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने वाला सबसे बड़ा आर्थिक उत्सव भी है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि उपभोग, उत्पादन और समृद्धि – ये तीनों एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं।

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