दीपावली 2025
भारत त्योहारों की धरती है और इन्हीं में से सबसे प्रमुख पर्व है दीपावली। दीपों का यह महापर्व केवल घर-आँगन को रोशनी से जगमगाने का अवसर नहीं है, बल्कि यह आत्मा के अंधकार को मिटाकर ज्ञान, सत्य और धर्म के प्रकाश की ओर बढ़ने का प्रतीक भी है।
रामायण से जुड़ी कथा
दीपावली का संबंध भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने से जोड़ा जाता है। चौदह वर्ष के वनवास और रावण पर विजय के बाद जब श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण अयोध्या पहुँचे तो नगरवासियों ने दीप प्रज्वलित कर उनका स्वागत किया। तभी से यह परंपरा हर वर्ष निभाई जाती है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि सत्य और धर्म की राह कठिन भले हो, पर अंततः
विजय उसी की होती है।
प्रकाश का आध्यात्मिक संदेश
दीपावली केवल दीयों की लौ का उत्सव नहीं है। यह भीतर के अंधकार को दूर करने का आह्वान है।
- अज्ञान रूपी अंधकार को मिटाकर ज्ञान का दीप जलाना
- ईर्ष्या, लोभ, अहंकार जैसी नकारात्मक प्रवृत्तियों को त्यागकर प्रेम, करुणा और सेवा का प्रकाश फैलाना
- निराशा से आशा की ओर और असत्य से सत्य की ओर बढ़ना यही दीपावली का सच्चा संदेश है।
सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
दीपावली लोगों को जोड़ने का त्योहार है। इस अवसर पर परिवार, मित्र और पड़ोसी एक साथ मिलते हैं। मिठाइयों का आदान-प्रदान, नए वस्त्र धारण करना और घर-आँगन सजाना सामाजिक समरसता का प्रतीक है। यह पर्व सकारात्मक सोच और आत्मीय संबंधों को मजबूत करता है।
आधुनिक समय में दीपावली
आज दीपावली को पर्यावरण–अनुकूल तरीके से मनाना हमारी जिम्मेदारी है।
- मिट्टी के दीये जलाना
- प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों से बचना
- स्थानीय कारीगरों और छोटे व्यापारियों से सामान खरीदना
इन प्रयासों से हम दीपावली के असली भाव को जीवित रख सकते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रकृति की रक्षा भी कर सकते हैं। दीपावली हमें यह सिखाती है कि अंधकार कितना भी गहरा क्यों न हो, एक दीपक की लौ उसे मिटाने के लिए पर्याप्त है। यदि हम अपने जीवन में अच्छाई, सत्य और सद्भाव का दीप जलाएँ, तो संसार स्वयं प्रकाशमान हो जाएगा।
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