दिवाली का आध्यात्मिक महत्व : प्रकाश से आत्मज्ञान तक

दिवाली का आध्यात्मिक महत्व : प्रकाश से आत्मज्ञान तक
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दीपावली 2025

दिवाली सिर्फ़ एक त्योहार नहीं बल्कि आध्यात्मिक जागरण और आंतरिक शुद्धि का पर्व है। दिवाली का आध्यात्मिक महत्व हैं। इस पावन अवसर पर रोशनी का प्रज्वलन मानव जीवन में बुराई पर अच्छाई, अज्ञानता पर ज्ञान, और अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक होता है।

प्रकाश का प्रतीक

दिवाली पर जलाए जाने वाले दीयों का ज्योति हमारे अंदर की सकारात्मकता, सत्य और ज्ञान का परिचायक है। यह प्रकाश अतीत की गलतियों, नकारात्मक विचारों और अविद्या को मिटाने का संदेश देता है, जिससे जीवन उज्जवल और सही दिशा में आगे बढ़ता है।

आत्मा की शुद्धि

त्योहार के पहले घर की सफाई और सजावट केवल भौतिक व्यवस्था नहीं, बल्कि मन और आत्मा की शुद्धि की प्रक्रिया है। दिवाली हमें आंतरिक दोषों और बुराइयों से छूटकारा पाने का अवसर देती है, जिससे मन में शांति, संतोष और सामंजस्य पैदा होता है।

बुराई पर अच्छाई की विजय

दिवाली की कहानियों में प्रमुख रूप से भगवान राम द्वारा रावण पर विजय का उल्लेख होता है। यह विजय हमारे दिल में व्याप्त नकारात्मक भावों जैसे अहंकार, द्वेष और भय पर सत्कार्य की जीत होती है। यह हमें अच्छे कर्मों और सकारात्मक सोच का मार्ग दिखाती है।

आध्यात्मिक जागरण का अवसर

दिवाली आत्मनिरीक्षण और आध्यात्मिक उन्नति का समय है। यह पर्व हमें हमारे अंदर के दिव्य प्रकाश को पहचानने और उसे विकसित करने का एक अवसर प्रदान करता है। दिवाली के त्योहार के दौरान पूजा, ध्यान, और सहृदयता को बढ़ावा देना आवश्यक होता है।

दिवाली का आध्यात्मिक महत्व समाज को सच्चाई, प्रेम और प्रकाश की ओर प्रेरित करता है। यह पर्व हमारे अंदर की असली रोशनी को जगाने, हमें अच्छाई के मार्ग पर चलने और सकारात्मक जीवन जीने की सीख देता है। इसलिए, दिवाली एक महज़ त्योहार से बढ़कर आत्मा का उत्सव है।

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