पुरी रथयात्रा 2025 : भगवान जगन्नाथ मंदिर में ‘पहांडी’ अनुष्ठान शुरू

भगवान जगन्नाथ मंदिर में ‘पहांडी’ अनुष्ठान शुरू
Share this news

पुरी, 27 जून 2025 (भाषा)

भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ को 12वीं सदी के मंदिर से रथयात्रा के लिए उनके रथों तक एक शोभायात्रा के रूप में ले जाने का अनुष्ठान ‘पहांडी’ शुक्रवार को शुरू हुआ।

पहांडी’ अनुष्ठान पहले सुबह साढ़े नौ बजे शुरू होना था लेकिन यह एक घंटे की देरी से शुरू हुआ और यह रस्म तीन घंटे तक चलेगी।

भगवान जगन्नाथ रथयात्रा

पहांडी में भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ को एक शोभायात्रा के रूप में सिंह द्वार के सामने खड़े उनके रथों तक ले जाया जा रहा है, जहां से उन्हें करीब 2.6 किलोमीटर दूर श्री गुंडिचा मंदिर ले जाया जाता है।

घंटे, शंख और झांझ बजाते हुए चक्रराज सुदर्शन को सबसे पहले मुख्य मंदिर से बाहर लाया गया और देवी सुभद्रा के ‘दर्पदलन’ रथ पर विराजमान किया गया। पंडित सूर्यनारायण रथशर्मा ने बताया कि श्री सुदर्शन भगवान विष्णु का चक्र है, जिनकी पूजा पुरी में भगवान जगन्नाथ के रूप में की जाती है।

श्री सुदर्शन के पीछे भगवान जगन्नाथ के बड़े भाई भगवान बलभद्र थे। भगवान बलभद्र को उनके ‘तालध्वज’ रथ पर विराजमान किया जा रहा है। भगवान जगन्नाथ और भगवान बलभद्र की बहन देवी सुभद्रा को सेवकों द्वारा ‘सूर्य पहांडी’ (रथ पर ले जाते समय देवी आकाश की ओर देखती हैं) नामक विशेष शोभायात्रा के माध्यम से उनके ‘दर्पदलन’ रथ पर ले जाया गया।

ग्रैंड रोड पर उमड़ा भक्तों का सैलाब

जब भगवान जगन्नाथ मंदिर से बाहर आए, तो ग्रैंड रोड पर भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा और भक्तों ने हाथ उठाकर ‘जय जगन्नाथ’ का नारा लगाया। ओडिसी नर्तकों, लोक कलाकारों, संगीतकारों और राज्य के विभिन्न हिस्सों से आए कई अन्य समूहों ने ‘कालिया ठाकुर’ (श्याम वर्णी भगवान जगन्नाथ) के सामने प्रस्तुति दी।

ओडिसी नर्तकी मैत्री माहेश्वरी

ओडिसी नर्तकी मैत्री माहेश्वरी ने कहा, ‘‘यदि प्रभु मुझ पर एक दृष्टि डाल दें तो मेरा जीवन धन्य हो जाएगा।’’

आषाढ़ शुक्ल की द्वितीया को आयोजित होती है रथयात्रा

रथ यात्रा प्रत्येक वर्ष उड़िया माह के दूसरे दिन आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को आयोजित की जाती है। यह एकमात्र अवसर है जब भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन रत्न जड़ित ‘रत्न सिंहासन’ से उतरकर ‘पहांडी’ अनुष्ठान के तहत सिंह द्वार से होकर 22 सीढ़ियां (जिन्हें बाईसी पहाचा के नाम से जाना जाता है) उतरकर मंदिर से बाहर आते हैं।

पहांडी से पहले मंदिर के गर्भगृह से मुख्य देवताओं के बाहर आने से पहले ‘मंगला आरती’ और ‘मैलम’ जैसे कई पारंपरिक अनुष्ठान आयोजित किए गए।

पहांडी अनुष्ठान के बाद निकलेगी रथयात्रा

निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, पहांडी के बाद अपराह्न साढ़े तीन बजे राजा गजपति दिव्यसिंह देब द्वारा ‘छेरापहंरा’ (रथों की सफाई) रस्म को संपन्न किया जाएगा, जिसके बाद अपराह्न 4 बजे रथों को खींचा जाएगा।

पुरी रथयात्रा 2025 : भगवान जगन्नाथ मंदिर में ‘पहांडी’ अनुष्ठान शुरू

इस बीच, भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथयात्रा के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु शुक्रवार को पुरी पहुंचे।

अन्य राष्ट्रीय खबरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

About Post Author


Share this news
Advertisements